होलिका दहन मूहर्त 2025: होलिका दहन हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है, जो होली के उत्सव की पूर्व संध्या पर आता है। यह पर्व बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है और इसका धार्मिक महत्व अत्यधिक है।
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होली की उत्पत्ति –
बात करें होली ( होलिका दहन मूहर्त 2025 ) की उत्पत्ति तो एक हिंदू पौराणिक कथा से जुड़ी हुई मानता है जिसमें हिरण्यकश्यप अपने बेटे प्रहलाद और उसकी बहन होलिका को जिंदा जलाने की कोशिश करता है। इसके बावजूद प्रहलाद आज की लपटों से बच गया जबकि उनकी बहन होली का जल गई तो इस समय हिंदू मान्यता के अनुसार आज भी होली का के अंदर आग लगाई जाती है।
यही कारण है की होली के दिन पहले होलिका दहन के रूप में अग्नि जलाकर होली मनाई जाती हैं जो बुराई पर भक्ति और धार्मिकता की विजय का प्रतीक माना जाता है।

होलिका दहन शुभ मुहूर्त –
प्रिय पाठकों, आपको बता दें जैसे-जैसे होली का त्यौहार ( होलिका दहन मूहर्त 2025 ) नजदीक आता जा रहा है वैसे ही लोगों में एक इच्छा जागृत हो रही है की होली का दहन का शुभ मुहूर्त क्या है सही समय क्या है तो आज आपको इस लेख के माध्यम से इन सब प्रश्नों का उत्तर मिलने वाला है।
बात करें ब्रश 2025 में होली का त्योहार दो दिन मनाया जाएगा दीरक पंचांग के अनुसार होलिका दहन गुरुवार 13 मार्च 2025 की शाम को मनाया जाएगा जबकि रंगारंग उत्सव की बात करें तो शुक्रवार, 14 मार्च 2025 को मनाया जाएगा।
• पूर्णिमा तिथि प्रारंभ – 13 मार्च 2025 को प्रातः 10:35 बजे
• पूर्णिमा तिथि समाप्त – 14 मार्च 2025 को दोपहर 12:23 बजे
• होलिका दहन शुभ मुहूर्त – 13 मार्च रात्रि 11:26 बजे से 14 मार्च रात्रि 12:19 बजे तक अर्थात लगभग 53 मिनट तक होलिका दहन का शुभ मुहूर्त रहेगा।
होलिका दहन के लिए कुछ प्रमुख बातें –
1. होलिका दहन की पूजा: होलिका दहन से पूर्व, लोग विशेष पूजा करते हैं। इस अवसर पर होलिका के जलने से पहले उसकी पूजा की जाती है और लोग भगवान से बुराईयों के नाश और अच्छाई की विजय की प्रार्थना करते हैं।
2. होलिका की आग: होलिका दहन ( होलिका दहन मूहर्त 2025 ) का मुख्य तत्व होलिका का जलना है। यह बुराई की प्रतीक होलिका को अग्नि में जलाने की प्रक्रिया है। मान्यता है कि होलिका ने भगवान विष्णु के भक्त प्रह्लाद को जलाने का प्रयास किया था, लेकिन वह स्वयं जलकर राख हो गई। इस घटना के माध्यम से बुराई की पराजय और अच्छाई की विजय का संदेश मिलता है।
3. समाज में एकता: होलिका दहन से पूर्व गांव, मोहल्ले के लोग एकत्रित होते हैं और सामूहिक रूप से इस पर्व को मनाते हैं, जिससे समाज में एकता और भाईचारे की भावना बढ़ती है।

4. होलिका दहन की पूजा: होलिका दहन से पहले, लोग विशेष पूजा का आयोजन करते हैं। इस दौरान होलिका के जलने से पूर्व उसकी पूजा की जाती है और लोग भगवान से बुराईयों के नाश और अच्छाई की विजय की प्रार्थना करते हैं।
इन सबके अलावा, होलिका दहन की रात को लोग पारंपरिक रूप से खुशी मनाते हैं, गीत गाते हैं, और एक-दूसरे को खुशियों की शुभकामनाएं देते हैं।